Friday, 29 January 2016

एयर लिफ्ट की घटनाओं की सत्यता पर उठे सवाल : बाजीराव मस्तानी की तरह मनगढंत है ,ब्राह्मणवाद का षड्यंत्र है फिल्म

हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म एयर लिफ्ट की सभी घटनाओं की सत्यता पर सवाल उठने लगे है और सबसे बड़ा  सवाल यह है की इस घटना में जिसको हीरो बनाया गया है  उसका नाम है रंजित कात्याल  जबकि इस घटना का असली हीरो मेथुए थे ,


इसके अलावा की अन्य घटनाओं पर भी सवाल उठ गए है क्योकि इसमें सरकार के सभी कर्मचारी को नकारत्मक रूप से दिखाया  गया है ,रितेश शाह जामिया  में पढ़े लिखे है और इन्हें  शोध करना पूरी तरह से सिखाया गया था   ,फिल्म से सम्बन्धित एक कहानी कार की क्या क्या जिम्मेदारी होती है



लेकिन वर्तमान समय मे फिल्मो  टीवी नाटको का जो दौर चल  रहा है उसमे दरअसल ब्राह्मणवाद हावी  हो रहा है , बाजीराव मस्तानी जिसमे पूरी फिल्म ही  झूटी  है क्योकि पेशवाओ के काल मे दलितों का सबसे बुरा  हाल था लेकिन   फिर   भी  फिल्म में    पेशवा को सबका हमदर्द   बताया गया है , इसी  तरह   टीवी  पर आने  वाले नाटक अशोक , जोधा अकबर राना प्रताप  सब नाटक एकदम झूट , लेखको  के हिसाब से  वो घटनाओं से प्रेरित हुए   है , साथ में ये डिस्क्लेमर  भी  लगा देते  है की इसकी सत्यता प्रमाणित  नहीं  की  जा रही  है  , लेकिन  सवाल  यह   है  की   ये  नोटिस  किसको  याद   रहते  है .



देश में  इस वक् मीडिया  फिल्म , कला की बर्बादी  केवल  ब्राह्मणवाद  की वजह से हो  रही  है   सिर्फ ब्राह्मणों  को महान   और बढ़ा दिखाने के लिए  घटनाओं  को तोडा  मरोड़ा  दिखाया  जा  रहा है  

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