बाजीराव - मस्तानी देखने वाले भले ही पेशवा बाजीराव के
कारनामे देख के अतीत में पेशवाओ के मुरीद हो जाएँ परन्तु यह अकाट्य सत्य है की
पेशवाओ का राज अछूतो के लिए सबसे कष्टकारी और अपमानजनक राज था ।
पेशवाओ
के राज में ब्राह्मणवाद इतना चरम पर था की अछूतो को सड़क पर चलने तक की अनुमति
नहीं थी , यदि
कोई अछूत सड़क पर चलता तो उसको आगे गले में हांड़ी लटकानी पड़ती थी ताकि उसका थूक
जमीन पर न गिरे और पीछे झाड़ू लटकानी पड़ती थी ताकि उसके पदचिन्हो पर किसी
ब्राह्मण का पैर न पड़े और वह अपवित्र न हो ।
पेशवा
के ऐसे ही अमानवीय अत्याचारो से तंग आके महारास्ट्र के महारो ने अंग्रेजी सेना में
भर्ती होके पेशवा बाजीराव को बुरी तरह हरा दिया था ।ये महारो का ही पराक्रम था की
वे केवल 500 थे जबकि बाजीराव के 28000 सैनिक , पर केवल 500
महार
अछूतो ने बाजीराव के 28000सैनिको को बुरी तरह धूल छटा दी थी ।
पेशवा
बाजीराव का जनवरी 1818 में ईस्ट इण्डिया कंपनी के साथ कोरेगांव के पास अंतिम युद्ध हुआ ।
पेशवा की सेना में 28000 सैनिक थे और कंपनी की सेना में 500 पैदल और 50 घुड़सवार जिसमें अधिकतर
महार थे । कंपनी की महार सेना ने पेशवा बाजीराव की सेना की धज्जियां उड़ा दीं ।
कोरेगांव का युद्ध स्मारक अछूत महार जाति के अद्भुत पराक्रम का परिचायक है । पेशवा
ने अपने शासन काल में अछूतो पर जो अत्याचार किये थें , उनकी अछूत महारो में
भयानक प्रतिक्रिया का कोरेगांव एक अद्भुत उदहारण है । इस युद्ध में पेशवा बाजीराव
को पकड़ कर कंपनी की सेना ने मार कर पेशवा राज्य समाप्त कर उस पर अधिकार कर लिए और
अछूतो को बहुत हद तक राहत मिली
‘भीमा
नदी’ के
तट पर बसा
गाँव
‘भीमा
– कोरेगांव’
पुणे
( महाराष्ट्र )
की
कहानी
01 जनवरी
1818 का
‘ठंडा’ दिन
दो
‘सेनाएं’
आमने
- सामने
28000 सैनिकों
सहित
‘पेशवा
बाजीराव – ( II ) 2’
के
विरूद्ध
‘बॉम्बे
नेटिव लाइट इन्फेंट्री’ के
500 ‘महार’ सैनिक
‘ब्राह्मण’ राज बचाने की
फिराक
में ‘पेशवा’
और
दूसरी
तरफ
‘पेशवाओं’ के पशुवत
‘अत्याचारों’ का
‘बदला’ चुकाने की
‘फिराक’ में
गुस्से
से तमतमाए
500 “ महार
“
के
बीच
घमासान
‘युद्ध’ हुआ
जिसमे
‘ब्रह्मा’ के मुँह से ‘जनित’
( पैदा
हुए )
28000 ‘पेशवा’ की
500 महार
योद्धाओ
से
शर्मनाक ‘पराजय’ हुई
हमारे
सिर्फ 500 योद्धाओने
28000 पेश्वाओका
नाश
कर दिया
और
ईसके
साथ ही
भारत
से पेश्वाई खत्म कर दी
ऐसे
बहादुर थे हमारे
पुरखे
और
ऐसा
हमारा
गौरवशाली
ईतिहास है
सब
से पहले उन
500 ‘महार’ (
पूर्वजों
) करो
‘नमन’ करो ...
क्यों
... ??
क्योंकी.........
1 ) उस
‘हार’ के बाद, ‘पेशवाई’
खतम
हो गयी थी |
2 ) ‘अंग्रेजो’ को इस भारत देश
की
‘सत्ता’ मिली |
3 ) ‘अंग्रेजो’ ने इस भारत देश
में
‘शिक्षण’ का प्रचार
किया, जो ‘हजारो’ सालों
से
‘बहुजन’ समाज के
लिए
‘बंद’ था |
4 ) ‘महात्मा
फुले’ पढ़
पाए,
और
इस देश की जातीयता
‘समज’ पाऐ |
5 ) अगर
‘महात्मा
फुले’ न
पढ़
पाते
तो ‘शिवाजी
महाराज’
की
‘समाधी’ कोण ‘ढूँढ’
निकलते
|
6 ) अगर
‘महात्मा
फुले’ न
‘पढ़’
पाते, तो ‘सावित्री बाई’
कभी
इस देश की प्रथम
‘महिला
शिक्षिका’ न
बन
सकती
थी |
7 ) अगर
‘सावित्री
बाई’, न
‘पढ़’ पाई होती तो, इस
देश
की ‘महिला’ कभी न
पढ़
पाती |
8 ). ‘शाहू
महाराज’,
‘आरक्षण’ कभी न दे पाते
9 ) ‘डॉ.
बाबा साहब’, कभी न
‘पढ़’ पाते |
10 ) अगर
1 जनवरी,
1818
को
500 ‘महार’ सैनिकों
ने
28,000 ‘ब्राम्हण’
( पेशवाओं
) को, मार
न
डाला
होता तो ... !!!
आज
हम लोग कहा पे
होते
... ??
आज
भी भीमा कोरेगाव में
विजय
स्तम्भ खड़ा है
और
उसपे
उन हमारे
शुरवीर
,बहादुर
और
वतन
परस्त
महार
सैनिको
जो
उस युद्ध में सहिद हुए थे
उनके
नाम
उस
पे लिखा हुआ है।
सोचो
28000÷500=56
के
हिसाब से
हमारे
एक महार सैनिक ने
अकेले
ने ही
56 पेशवाओ
को
काट
डाला था
कहि
देखा,सुना
या पढ़ा है ?
ऐसे
योद्धा के बारे में
नहीं
ना ?
क्यों
की .....
भारत
में ब्राह्मनो का
राज
चलता है
और
वे
कभी नही चाहते
की
हमारे वीरो की कहानी
हम
तक पहुचे
जाने पेशवा......कौन ??
महाराष्ट्र
में राजा के बाद प्रधानमंत्री के पद को पेशवा कहा जाता था । जो केवल ब्राह्मण
प्रजाति के लिए आरक्षित होता था । यदि राजा लड़ने में अक्षम (नाबालिक /बीमार या
वॄद्ध ) हो तो पेशवा कुछ समय के किये उनका कार्यभार संभाल लिया करता था । यह पेशवा
का पद वंशानुगत नही था । किंतु बालाजी बिश्वनाथ भट्ट ने यह पद अपने वंशजो के लिए
वंशानुगत कर खुद राजा बन बैठा और अपने पुत्र बाजीराव पेशवा प्रथम को राजपाठ सौप
दिया ।
आओ
देखे पेशवाओ की अमानवीय हरकते......
############################
छत्रपति
शिवाजी महाराज के "रैयत " के अनुसार राजकार्य के घोर विरोधी पेशवा !!
शिवाजी महाराज को भरे
दरबार मे शूद्र कह कर अपमानित करने वाले पेशवा !!
शिवाजी महाराज को शूद्र
कह कर उनके राज्याभिषेक नहीं करने वाले पेशवा !!
छत्रपति शिवाजी महाराज
के विरोध मे यज्ञ करने वाले पेशवा !!
छत्रपति शिवाजी महाराज
कि हत्या की साजिश करने वाले.....पेशवा ....!!!
शिवाजी ने जिस अफजल खां
को बाघनख से चीर दिया था , उस
वक्त छत्रपति शिवाजी महाराज को तलवार से वार करने वाला अफजल खान का वकील चाटुकार
कुष्णाभास्कर कुलकर्णी....पेशवा !!
संभाजी महाराज को मुगलो
से पकडवाने वाले .....पेशवा .....!!!
संभाजी महाराज की
"मनुस्मृति" के अनुसार ...मुगलो से हत्या करवाने वाले पेशवा !!
छत्रपति शिवाजी महाराज
की माँ साहेब जिजाऊ ,शिवपुत्र
संभाजी का चरित्र हनन करने/ बदनामी कारक पुस्तक लिखने वाले पेशवा !!
विदेशी लेखक जेम्स लेने
को पुणे स्थित भन्डारकर इंस्टीट्यूट मे "शिवाजी द किंग ईन इस्लामिक इंडिया
" नामक पुस्तक लिखवाने वाले पेशवा ...!!!
राष्ट्रपिता फूले जी ने
जब छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि को खोजा व साफ सफाई करने के बाद शिव जयंती
मनाने का निर्णय लिया तो .....
इस
"कुनभट" को इतना तव्वज्यो क्यो दे रहे हो... राष्ट्रपिता फूले जी को ऐसी
सलाह देने वाला
शिवाजी
महाराज को जातिगत सम्बोधन करने वाला ग्रामजोशी पेशवा !!
कुलमी.. कुनबी...कुर्मी
जातियों को कुणभट कहकर नाम बिगाडने वाले पेशवा !!
छत्रपति शिवजी के पोते
शाहुजी महाराज को शूद्र कहकर उनके के स्नान के समय वैदिक मन्त्रो की जगह पौराणिक
मन्त्र पडने वाला पेशवा !!
छत्रपति शाहुजी महाराज
को निचले ( शूद्र ) वर्ण का कहकर , महाराज को उनके रसोईघर
मे नही आने देने वाला , महाराज
को अपमानित करने वाला जातिवाद करने वाला पेशवा ..!!
शिवाजी महाराज के राज्य
को नष्ट करने वाले
खत्म
करने वाले पेशवा...!!
शिवाजी के द्वारा शुरू
किए गये "शिव शक संवत " को बन्द करने वाले पेशवा,...!!!!
"शिव शक संवत " की
जगह मुगलो का "फसली शक संवत" शुरू करने वाले मुगलो के गुलाम पेशवा...!!!
अछूतो के गले मे मिटटी
का बर्तन व कमर मे झाडू लटकाने वाले अमानविय/जातिवाद/वर्णवादी/दुष्ट पेशवा...!!
महिलाओ
को वासना पूर्ति का साधन समझने वाले/कामूक/अन्यायी/ अत्यचारी/दरिन्दे/नाचने वाली/
गाने वाली /मुजरा करने वाली मस्तानी के पीछे अपनी पत्नी को धोखा देने वाले , अपनी प्रजा को धोखा
देने वाले
पेशवा